मेरी मौत
मौत मेरी जा रही है मेरे यारो के
कंधो पे,
ये जमाने अफसोस मत करना,
यहाँ खुशी मेरी सबसे बढ़कर के,
तुम इसे कम
मत करना।
खुश नसीबी मेरी इतनी थी,
कफन की चादर बदन पे थी
दफनाया गया मुझे जिस जमीन मे
ओ भी मेरे
मौत के इंतेजार मे थी।
मेरे जनाजे की बारात भी कभी उसकी थी,
ओ मेरे कब्र पे आके रोयी थी,
हाय रे मेरी कैसी किस्मत थी,
मेरे मरने
के बाद ओ मेरे करीब थी।
कुछ चंद साँसे मांग सकता खुदा से अगर,
हो सकता ओ मेरी जिंदागी की नयी बहार
थी,
मेरी जिंदगी की गुस्ताखी इतनी थी,
दिल की बात
उनसे कभी बयान नहीं की थी।
शायद उन्हे यह उम्मीद हमसे न थी,
लेकिन मोहब्बत की दुनिया की हमे खबर
कहाँ थी?
इस बात का गम करके आप का क्या फायदा?
मिटा दी गयी
आग हमारी यहीं थी।
बस नाम ही बाकी रह गया इस दुनिया मे
हमारा,
के कैसे मुहब्बत के साहिल से,
टकरा रही
हमारी कश्ती थी।
-योगेश मोरे
मुंबई (महाराष्ट्र)
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