सोच की कला
धरती का हर एक इंसान की वह ख्वाहिश
है की वह जीवन की ऊंचाइयों को स्पर्श करे। माना की पंखो के आभाव मे वह आसमान की
ऊंचाई नहीं छु सकता लेकिन अपने पाँवों से चलकर वह शिखर तक पहुँच सकता है । एक बात
तय है की मनुष्य के मन मे उठने वाले रंग बीज की भांति अपने भीतर बरगद समाये रहते
है। इसीलिए ‘सोचना’ बहुत बड़ी कला है।
नजरिया सोच का परिणाम है तो सोच
नजरिए को प्रभावित करती है। जीवन मे सोच व नजरिए को सार्थक दिशा मिल जाए तो
उत्कर्ष की उड़ान स्वत: होने लगती है।विचारो की व्यर्थ लहरों को मन मे पालना जंगली
घास को बगीचे मे उगाने की तरह है। सुंदर जीवन वाटिका के लिए जरूरी है की व्यक्ति
निरर्थक विचारो की घास को हटाये व सार्थक विचारो के बीज बोएं।आइए हृदय की भूमि को उपजाऊ
बनाकर उसके कण कण मे कुछ सुविचारों के बीज बोएं-
स्तर ऊंचा उठाएँ:-दुनिया मे
अपने स्तर को ऊंचा उठाना स्वयं पर निर्भर करता है। जीवन मे उतार चढ़ाव आना अलग बात
है किन्तु जिसने खुद को सोने का सिक्का बना लिया वह चित गिरे या पट वह अपना मूल्य
नहीं खोता।
अगर आगे बढ़ना है तो दूसरों को गिराना
मत किसी की टांग खींचकर या दूसरों को पीछे धकेलकर आगे बढ़ना इंसानियत के खिलाफ
है।मनुष्य को ये सब हमेशा याद रखना चाहिए की जो कुछ यहाँ पाया है सब मिट्टी मे
समाने वाला है।तन,धन,यौवन सब कुछ मिट्टी मे समाये उससे पहले जीवन मे अच्छे कार्य
कर लेना चाहिए।
जीवन एक
प्रतियोगिता:- मनुष्य जीवन एक
प्रतियोगिता है। आमतौर से होने वाली दुनिया मे दूसरी प्रतियोगिताओं की तरह इसमे भी
हार और जीत का द्वंद सतत चलता रहता है। चूंकि उन्नति को प्राप्त करना जीवन की एक
दौड़ है। हर आदमी इस दौड़ मे शामिल है। कोई धन प्राप्ति की आशा मे दौड़ रहा है तो कोई
पद प्रतिष्टा की लालसा मे दौड़ रहा है।
जीवन भागमभाग मे उत्कर्ष के शिखर की
ओर अवश्य आगे बढे लेकिन एक दूसरे से ईर्षा रखकर नहीं। हमेशा याद रखे दौड़ते हुये
किसी को नीचे गिराने की कोशिश नहीं करनी है, क्योंकि संसार मे हर आदमी के कदम
भिन्न है और सबकी क्षमता और विशेषताएँ भी अलग है।
नियम किया ताकत:- मनुष्य के जीवन मे संतुलन होना बहुत जरूरी है दी
संतुलित पहियों पर गाड़ी चलती है।
मौसम के संतुलन से प्रकृति अपना
नृत्य करती है। इसी प्रकार संयम भी जीवन मे संतुलन का पाठ पढाता है।
संयम का सेतु मनुष्य को बाहरी और
भीतरी दोनों ताड़ो को जोड़कर जीवन को प्रगति का अभिनव आयम प्रदान करता है। आज मनुष्य
अनियमित जीवन जी रहा है जिससे उसकी जीवनचर्या अस्त-व्यस्त हो गयी है। जीवन मे नियम
भी संयम द्वारा ही परिभाषित होते है। याद रखे नियम चाहे छोटे हो किन्तु नियमो की
ताकत बहुत बड़ी होती है। नियन का अंकुश मानव को विवेक के पथ पर आरूद करने मे सहायक
होता है।
विचारो का आईना:-
प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का बहुत
बड़ा हिस्सा मात्र विचारो मे व्यतीत होता है इसीलिए विचारो का आएना है।
हकीकत यह है की परिस्थितियाँ अनुकूल
या प्रतिकूल नही हुआ करती,विकहर ही उन्हे अच्छा या बुरा रूप प्रदान करते है, इसी कारण विचार
ही दृष्टि के निर्माता है।प्रबल विकहर
चुम्बकीय होते है जो अपने जैसे विचारो को स्वत: अपनी ओर आकर्षित करते है। नियम यह
है की दो समान चीजे परस्पर आकर्षित करती है यही कारण है की मनुष्य उनही प्रबल
विचारो से आकर्षित होता है जिसके प्रति उसकी जागरूकता है।
विश्वास रखे शुभ विचार अशुभ विचारो
से सेकड़ों गुना अधिक शक्तिशाली है। अत: शुभ विचारो को कार्यान्वित करने मे देर ना
करे।
अंत मे यह कहना बहुत जरूरी है की
जीवन की लंबाई का नहीं अपितु गहराई का अधिक महत्व होता है। मनुष्य कैसे मरता
है इसका महत्व नहीं है अपितु कैसे जीता है
वह अधिक महत्वपूर्ण है। जैसे मोमबत्ती ज्यादा देर तक नहीं जलती परंतु उसका थोड़ी
देर जालना भी सार्थक है। क्योंकि वह स्वंय जलकर दूसरों को प्रकाशित करती है।
कभी तो हिसाब कर लेना चाहिए की जीवन
के तमाम क्षणो मे कितने क्षण ऐसे है जो जीवंत क्षण है।
-ज्योति कोष्टी
नेपानगर (मध्य
प्रदेश)
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