देश नष्ट करने वाले ही,देश भक्त बने
" न तेरा न मेरा न इसका न उसका ये सबका वतन है , बचालो इसे "
भगत सिंह ने शोषण , गरीबी ,साम्राज्यवाद ,पूंजीवाद आदि के खिलाफ युद्ध छेड़ा था। आज उनके सब मुद्दे गायब हैं। लोगों ,सरकारों और पार्टियों के द्वारा जो भी कुछ किया जा रहा है,वो सब अपनी मरज़ी से और बसलोगों को मूर्ख बनाने के लिये किया जा रहा है |
आज देश में एक अलग तरह का मुद्दा चल रहा है, की जो भारत माता की जय नहीं बोलेगा वो भारत का दुश्मन है या वो पाकिस्तानी है ? ये क्या बात हुई, देखा जाये तो विवाद उत्पन्न करने वाले लोग तो विवादउत्पन्न करके चले जायेंगे परन्तु हम युवा विद्यार्थियों को इन शब्दों से नफरत करने की सीख स्थायी रूप से मिल जाएगी सहिष्णुता
-असहिषुणता के बाद इस मुद्दे को अब सर्वाधिक चर्चा मिली है और ये बहसजैसे ख़त्म होने का नाम ही नहीं ले रही है। इस बात पर दारुल उलूम का भी यह कहना है कि वो भारतीयता के हिमायती हैं, लेकिन वो जिस तरह से वन्दे मातरम नहीं बोल सकते इस तरह भारत माता की जय भी नहींबोल सकते भारत माता की जय किसी पर थोपा नहीं जाना चाहिए , ऐसे हालात पैदा होने चाहिए,की स्वयं अपने दिल से ये आवाज़ निकले।
पहले इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि तमाम जातियों में बटा हुआ देश किस तरह एकजुट हो।
हमें ये
नहीं भूलना चाहिए की हमारा देश कुछ महान शहीदों के बलिदान से बना है
आज जब कुछ लोग अपने मुद्दे उठा रहे हैं तो उन्हें नज़रन्दाज करके सरकार अपने फर्ज से दूर भाग रही है ,एक तरफ नेशनल हाईवे बन रहे हैं ,उसी के ठीक विपरीत गरीबी में पनपते लोगों के इलाकें हैं, उस पर कोईध्यान नहीं दिया जा रहा है |
ऑक्सफ़ोर्ड की रिपोर्ट की तहत देखा जाये तो भारत में ३६ करोड़ लोग कंगाल हैं , उसकी कोई बात नहीं होती , और कुछ नहीं तो जल , जंगल जिस पर हम निर्भर हैं , इनको बचाना कर्तव्य को निभाना हमारा राष्ट्रवाद है, पर आज देखा जाएं तो परिस्थिति इसके विपरीत हैं जो लोग देश को नष्ट कर रहें हैं वही देशभक्त बनने की कोशिश कर रहें हैं |
इसी के साथ अगर जेन्यू या बस्तर में हुई घटना को ले लो तो ये कोई बहुत बड़ा विषय बनाने लायक बात नहीं थी,
इसका समाधान आराम से भी किया जा सकता था , पर ऐसा नहीं हुआ और ये सब आने वाले हम युवाओं के लिए प्रश्न बन गया | हरियाणा में जो हुआ वो भी गलत हुआ आखिर अंत में पूरा हरियाणा जलाकर केजातीय बैरियर खड़ा कर दिया गया | राजनीती ही सबकुछ अस्त -व्यस्त कर रही है | देश भक्त ही देश बर्बाद करेगा , तो वो दिन दूर नहीं जब १९४७ से पहले दिन वापस आजायेंगे |
" मर जाओ , मिट जाओ , पर वतन के लिए कुछ कर जाओ |
शुभ्रांगी गोयल
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